इस कोरोना काल में होली मनाते वक्त रखें खास ध्यान, सोशल बबल का करें इस्तेमाल, जानें क्या है ये

इस कोरोना काल में होली मनाते वक्त रखें खास ध्यान, सोशल बबल का करें इस्तेमाल, जानें क्या है ये

सेहतराग टीम

हमारे यहां होली का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। लोग रंग लगाते हैं और गुजिया खाकर मुंह मीठा करते हैं। ये पंरपरा कई सालों से चली आ रही है। लेकिन इस बार ये सब करने के लिए रोक लगाई गई है। जी हां दरअसल कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या लगातार बढ़ती चली जा रही है। उसी को देखते हुए कई राज्यों में रात को कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही जुलुस निकालने पर प्रतिबंध भी लगा दिया है। इस वायरस से होली पर्व पर भी बुरा असर पड़ा है।

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स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी लोगों को होली के दौरान आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी है। अगर आप भी सेफ होली खेलना चाहते हैं, तो सोशल बबल का इस्तेमाल कर सकते हैं। लॉकडाउन के दिनों में सोशल बबल बेहद पॉपुलर हुआ था। खासकर न्यूजीलैंड में यह अधिक सफल हुआ था। हाल के दिनों में भी इसे अपनाया जा रहा है। अगर आपको सोशल बबल के बारे में नहीं पता है, तो आइए जानते हैं-  

क्या है सोशल बबल

सोशल बबल अंग्रेजी के दो शब्द सोशल और बबल से मिलकर बना है। इसका शब्दिक अर्थ समाज में बुलबुले की तरह जीवन-यापन करना है। इसमें परिचित व्यक्ति से ही मिलना-जुलना रहता है। आसान शब्दों में इसे ऐसे समझ सकते हैं कि एक परिवार में चार लोग हैं और दूसरे परिवार में दो लोग हैं। दोनों परिवारों का किसी बाहरी व्यक्ति से मिलना जुलना नहीं है। ऐसे में दोनों परिवार एक दूसरे के सोशल बबल बन सकते हैं।

हालांकि, सोशल बबल के लिए कई नियम हैं, जिनका सख्ती से पालन करना जरूरी है। इसके लिए लोग (दोनों परिवार के सदस्य) शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हैं, सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनकर रहते हैं और सीमित (चिन्हित) व्यक्ति से ही मिलते-जुलते हैं। सोशल बबल बनने से पहले दोनों परिवार की सहमति जरूरी है कि वे नियमों का पालन करेंगे। सोशल बबल किसी भी उम्र में बनाया जा सकता है। हालांकि, वृद्धों को इस सूची से बाहर रखा गया है। आप सोशल बबल के जरिए आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ होली मना सकते हैं। इससे संक्रमितों होने का खतरा कम रहता है।

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